नई दिल्ली। मनु गौड़ राष्ट्रीय अध्यक्ष, टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत- टैक्सएब ने आई.एम.एस. यूनिसन विश्वविद्यालय एवं डी.आई.टी. विश्वविद्यालय के संयुक्त सत्र में अनियंत्रित तरीके से बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों पर एक व्याख्यान दिया और लगभग 500 से अधिक छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया। टैक्सएब के माध्यम से मनु गौड़ भारत भर के युवाओं के साथ संलग्न हैं और अधिक जनसंख्या के दुष्प्रभावों पर उनसे बातचीत करते हैं। मुख्य उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करना और विचारों को साझा करना साथ ही जागरूकता पैदा करना है।
मनु गौड़ ने व्याख्यान में कहा कि आजादी के समय भारत की जनसंख्या लगभग 36 करोड़ थी जो कि अब 142 करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है। लेकिन जैसा हम सब जानते हैं कि भारत का भूमि क्षेत्र वही बना हुआ है पर जनसंख्या घनत्व तीन गुने से भी अधिक बढ़ गया है। यद्यपि हमारे देश का भूभाग दुनिया का लगभग 2.4 प्रतिशत है और हमें विश्व जनसंख्या के 18 प्रतिशत हिस्से का भरण-पोषण करना पड़ता है। एक तरफ, हमारे पास एक मध्यम वर्ग है जो देश की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए कड़ी मेहनत करता है और अपने करों का भुगतान करता है, वहीं हमारे पास लगातार बढ़ती आबादी है, जो हमारी विकास की संभावनाओं में बाधा डाल रही है।
वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है। उन्होंने आगे कहा कि परिवार नियोजन योजना पर 2.25 लाख करोड़ रुपये करदाताओं का खर्च किया जा चुका है। इसके बावजूद इसके हमारी आबादी 100 करोड़ से अधिक बढ़ गई है। क्या यह करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग नहीं है? यही कारण है कि करदाताओं को सरकार से पूछने की जरूरत है कि वे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों नहीं बनातीं ? उन्होंने उत्पादन क्षेत्र में विकास के बारे में बात की जहां उन्होंने बढ़ते उत्पादन के अंधेरे पक्ष पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि आजादी के बाद से देश के खद्यान्न उत्पादन में 5 गुना वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों का उपयोग 1961 की तुलना में 80 गुना से भी अधिक बढ़ गया है। जिसके कारण भारत बीमारियों और विनाश के मार्ग पर अग्रसर हो चुका है और हो रहा है। उन्होंने पिछले चार वर्षों में टैक्सएब द्वारा किए गए प्रयासों और पहलुओं पर छात्रों को अवगत कराया और बताया कि कैसे टैक्सएब खतरनाक जनसंख्या वृद्धि पर जागरूकता पैदा करने में लगा हुआ है।
उन्होंने जोर दिया कि बढ़ती आबादी एक टाईम बम की तरह है। उन्होंने कहा कि जब हमारे संसाधन सीमित हैं, हमारा भूमि क्षेत्र वही है और आबादी बढ़ने के कारण हमारी मांगें तेजी से बढ़ रही हैं जो आने वाले समय में और विकराल समस्याओं को जन्म देंगी तब हमें जनसंख्या नियंत्रण के विषय में क्यों नहीं सोचना चाहिए ? उन्होने बताया कि विशेषज्ञों ने पीने के पानी की गंभीर कमी की भविष्यवाणी की है और प्रदूषण का स्तर जो भारत में अधिक जनसंख्या के कारण आने वाले वर्षों में जीवन को असंभव बना सकता हैं, उस बात पर भी ध्यान केंद्रित करने की हमें सख़्त आवश्यकता है ।
व्याख्यान के दौरान प्रस्तुत किया गया गीत “मैं भारत बोल रहा हूँ“ जिसे देश के प्रसिद्ध गीतकार सुरेश वाडेकर, कैलाश खेर, शान, अंकित तिवारी, रवि त्रिपाठी, मयूरेश पाई, अनंत भारद्वाज इत्यादि ने गाया है को छात्रों ने बहुत पसंद किया। उन्होंने बताया कि इस गीत का उद्देश्य बढ़ती आबादी की समस्या को देशवासियों के सामने लाना है और साथ ही साथ नागरिकों और नीति निर्माताओं के सामूहिक विवेक को झकझोरने का है।
उन्होंने कहा कि भारत रो रहा है और बीमार होता जा रहा है; यह समय है कि हम एक जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए खड़े होकर हमारे नीति निर्माताओं पर दबाव डालें। उन्होंने छात्रों से आबादी नियंत्रण के लिए इस आंदोलन में भाग लेने का अनुरोध किया और विद्वानों और रणनीतिकारों को आमंत्रित किया जो इस मुद्दे पर सक्रिय नीति निर्माण में योगदान दे सकें।